आज बज़्म ए ख्वातीन के तत्वाधान में जनाना पार्क अमीनाबाद में तलाकशुदा महिलाओं के लिए गुजारा भत्ता पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें शामिल महिलाओं ने कहा की हर महिला को गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है चाहे वह किसी भी धर्म की हो
इस संगोष्ठी में तलाकशुदा महिलाओं तरन्नुम खान ,तमन्ना खान, रुकैया बानो ,नसरीन अंसारी ,शेनजिला सिद्दीकी ने अपने विचार रखें ,जीनत वाहिद ने कहा के मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक और गुजारा भत्ते की परंपरा के कारण हमेशा से अत्याचार सहन करती आ रही हैं तीन तलाक के विरुद्ध कानून बनने से उन्हें काफी राहत मिली और इसमें बज़्म ए ख़्वातीन का बड़ा योगदान रहा है क्योंकि भारतीय समाज में अधिकतर महिलाएं विवाह के बाद अपने पति पर निर्भर हैं अगर किन्हीं परिस्थितियों में पति उनको छोड़ देता है तो उनका भरण पोषण मुश्किल हो जाता है ऐसे में गुजारा भत्ता कानून सराहनीय है
अध्यक्ष बज्म ए ख्वातीन बेगम शहनाज सिदरत ने कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिए गुजारा भत्ता संबंधी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक है उन्होंने कहा कि तीन तलाक के विरुद्ध कानून बन जाने से महिलाओं को काफी राहत मिली है अब उन्हें गुजारा भत्ता पाने का कानून स्थापित होने से बहुत राहत मिलेगी वह अब दावा पेश कर सकेंगे क्योंकि जिन महिलाओं के पति छोड़ देते हैं उन महिलाओं के कंधों पर बच्चों को पालने ,पढ़ने लिखाने का बोझ तो होता ही है साथ ही मुसीबत का पहाड़ टूट जाता है इस पर यह फैसला उन्हें राहत देगा ,मुसलमानों को इस पर आपत्ति नहीं जतानी चाहिए क्योंकि अभी तक उनकी तरफ से मुस्लिम ख्वातीन के लिए कोई भी पॉजिटिव काम नहीं किया गया है ना तो उनके लिए शेल्टर होम्स बनाए गए ना ही कोई बैतूलमाल, अब अगर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से उनकी मुसीबतें कम हो रही हैं तो यह सराहनीय कदम है
बेगम शहनाज सिदरत ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता, नया आईपीसी इंसाफ के लिए एक नया प्रयास है हमें उम्मीद है कि इसका उद्देश्य किसी को दंडित करना नहीं बल्कि न्याय देना होगा क्योंकि आजकल बच्चों में भी अपराधिक प्रवृत्ति पाई जा रही है साथ ही हमारी सरकार से गुजारिश है कि वह स्कूलों के सिलेबस में नैतिक शिक्षा को जरूरी करार दे
गोष्ठी में आफरीन बानो ,मेहरुनिसा जैनब, जिक्रा आदि ने भी विचार व्यक्त किये गोष्ठी का संचालन नशत हयातुल्लाह ने किया,