“Ageing with Dignity: Challenges, Opportunities, and Innovations in Policy and Practices” विषय पर गिरि विकास अध्ययन संस्थान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का समापन
15, फ़रवरी 2025, लखनऊ
दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार “Ageing with Dignity: Challenges, Opportunities, and Innovations in Policy and Practices” गिरी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज (GIDS) में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस आयोजन में नीति निर्धारकों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने भाग लिया और वृद्धावस्था नीतियों और प्रथाओं में प्रमुख मुद्दों एवं प्रगति पर विचार-विमर्श किया। सेमीनार ने भारत में बुजुर्गों की देखभाल के भविष्य पर गहन संवाद को बढ़ावा दिया।
इन दो दिनों के दौरान, प्रमुख विद्वानों और विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर अपने शोध प्रस्तुत किए, जिनमें सामाजिक और आर्थिक समावेशन, वृद्धावस्था में नवाचार, सक्रिय वृद्धावस्था को बढ़ावा देना और वृद्धावस्था नीति एवं अधिवक्ता शामिल थे। कई महत्वपूर्ण प्रस्तुतियों में डॉ. आर. मरुथाकुट्टी (सेवानिवृत्त प्रोफेसर, मद्रास विश्वविद्यालय) का ग्रामीण वृद्ध विधवाओं में गरिमा और आत्म-सम्मान पर शोध और डॉ. सी. वेंकटचलम (ICSSR सीनियर फेलो, भारथियार विश्वविद्यालय) का सेलम शहर, तमिलनाडु में वृद्ध स्ट्रीट वेंडर्स: गरीबी से लड़ाई पर अध्ययन प्रमुख रहे।
इस सेमीनार में 11 महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किए गए, जिनमें शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विद्वानों ने बुजुर्गों द्वारा विभिन्न सामाजिक पहलुओं में अनुभव की जाने वाली जटिल चुनौतियों पर चर्चा की और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए व्यावहारिक समाधान तलाशे।
कार्यक्रम का समापन समापन सत्र के साथ हुआ, जिसकी अध्यक्षता प्रो. ए. के. सिंह (पूर्व निदेशक, GIDS) ने की। इस अवसर पर प्रो. संजय सिंह (निदेशक, GIDS), प्रो. ए. के. शर्मा (सेवानिवृत्त, IIT कानपुर), और डॉ. ए. जैन (ऑर्थोपेडिक सर्जन) ने भी अपने विचार साझा किए। इस सत्र का समन्वय डॉ. मंज़ूर अली ने किया।
समापन टिप्पणी में, प्रो. संजय सिंह ने सेमीनार की मुख्य चर्चाओं को याद किया और प्रो. उदय शंकर मिश्रा के विचार को दोहराया कि “बुढ़ापा और बुजुर्ग समाज की संपत्ति हैं।” प्रो. ए. के. शर्मा (सेवानिवृत्त, IIT कानपुर) ने ऊर्जा गरीबी और स्वास्थ्य पर एक विचारशील व्याख्यान दिया और गरीबी एवं बेरोजगारी को वृद्धावस्था देखभाल से जोड़ा। उन्होंने बताया कि बुजुर्गों की समस्याएँ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों में बढ़ती बेरोजगारी और असुरक्षा से जुड़ी हुई हैं, जो भारत के कुल श्रमबल का 92% हिस्सा हैं। उन्होंने बीमा-आधारित चिकित्सा सेवाओं की बजाय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने की वकालत की।
उपरोक्त के क्रम में डॉ. ए. के. जैन ने वृद्धावस्था को एक सामाजिक अनुभव बताया और शारीरिक, सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य के परस्पर संबंधों की उपयोगिता पर चर्चा की
संवाददाता राजेश कुमार सज्जाद टाइम्स लखनऊ
सेमीनार की सफलता के लिए प्रो. ए. के. सिंह ने डॉ. नीतू बत्रा (समन्वयक) और डॉ. अनिमेष रॉय (संयोजक) को बधाई दी और उनके समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि सामाजिक विज्ञान को वरिष्ठ नागरिकों के के संबंधित मुद्दों से जुड़ना चाहिए, क्योंकि ये मुद्दे समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कार्यक्रम का समापन डॉ. नीतू बत्रा द्वारा विस्तृत ब्रीफिंग और डॉ. अनिमेष रॉय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
इस सेमीनार ने वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े अवसरों और चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया, जिससे नीतियों और व्यवहारों में नवाचार को बढ़ावा मिला जो बुजुर्गों की गरिमा को सशक्त बनाएगा।