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चिट्ठी से ईएमओ काल तक

विविध

 

( संजीव ञीवासतव )

साल 2023 मे ना चिठठियॉ आती है ना जाती है ना ही 90 के दशक का नाम फिल्म का पंकज उधास की आवाज का वह गाना चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है बडे दिनो के बाद उनके ….
देवरिया,बलिया,बनारस, कानपुर,लखनऊ,सीतापुर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से पूर्वी उत्तर प्रदेश मे छोटे बडे शहरो,देहात,कस्बेो मे साँझ होते ही ईएमओ काल का इंतजार होता है वह भी विदेश मे नही स्वदेश के हैदराबाद, चेन्नई, बंगलुरु, मुंबई, गुरू ग्राम,पूना आदि महानगरों मे बसने वाले आईटी प्रोफेशनल बच्चो और यूपी मे बसे मातापिता की इएमओ काल ही बहू बेटे,नातीपोतो से बातचीत का जरिया है ऐसा नही है इन शहरो की दूरी दिनो मे है चंद घंटो की दूरी और माँ पिता को हवाई जहाज से बुलाने मे सझम बहू बेटे लेकिन कहॉ लखनऊ, कानपुर,गोरखपुर, बस्ती, देवरिया आदि के गली मौहल्ले शुकलाजी,शमॉजी,चूननू की मममी है कहॉ फ्लैट कल्चर 402,318 बी ब्लॉक आदि युवा एंव ऩई पीढी कि स्पष्ट अंतर देश मे ही अकेलेपन की टीस देने ये साथ सामाजिक अस्थिरता को बढावा दे रही है ।।
वरिष्ठ मनोचिकित्सको का कहना है दादी दादी,नानानानी को सानिध्य मे पले बढे बच्चे सामाजिकता एंव निणँय लेने मे अधिक सझम होते है ।।
रंगुन से अब टेलीफोन से नही स्वदेश से ही ईएमओ काल आती है

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