मशहूर आलिम और ख़तीब-ए-नहजुल-बलाग़ा मौलाना मंज़र अली आरफ़ी के वालिद मरहूम की याद में आयोजित दस्वीं की मजलिस एक रूहानी और पुरसोज़ माहौल में सम्पन्न हुई। यह मजलिस मुज़फ्फरनगर की मस्जिद-ए-जाफ़रिया में नमाज़-ए-मग़रिबैन के बाद आयोजित की गई। शहर और आसपास के इलाक़ों से बड़े पैमाने पर मोमिनीन ने शिरकत की और मरहूम के लिए ईसाल-ए-सवाब की फ़ातेहा अदा की।
मजलिस ने न केवल मरहूम की यादों को ताज़ा किया बल्कि लोगों के दिलों में अहलेबैत अ.स. की मोहब्बत को और मजबूत किया। पूरी मजलिस के दौरान एहतराम, सुकून और रूहानियत का गहरा असर महसूस किया गया।
सोज़ख़ानी और पेशख़ानी का पुरसोज़ माहौल
सोज़ख़ानी का असरअंदाज़ अंदाज़
मजलिस का आगाज़ मोहम्मद शफ़ी की दिलकश सोज़ख़ानी से हुआ। उनकी आवाज़ की सादगी और दर्द ने मौजूद अज़ादारों के दिलों पर गहरा असर डाला। सोज़ के अशआर सुनकर कई आंखें नम नज़र आईं और माहौल ग़म-ए-हुसैनी में डूब गया।
पेशख़ानी ने बढ़ाई रौनक
इसके बाद ज़मीन हुसैन ने पेशख़ानी की। उनके पढ़े गए मरासिया और नौहे दिलों को छू लेने वाले थे। उन्होंने अहलेबैत अ.स. की मुसिबतों का ज़िक्र इस तरह किया कि हर शख्स का दिल मुलायम हो गया और मजलिस का प्रभाव और ज़्यादा गहरा हो गया।
मौलाना सैयद मेराज महदी का फ़िक्रअंगेज़ खिताब
ज्ञान, फ़िक्र और रूहानियत का संगम
मजलिस से मौलाना सैयद मेराज महदी मंगलौर (उत्तराखंड) ने खिताब किया। अपने बयान में उन्होंने:नहजुल-बलाग़ा की हिकमत भरी बातों का ज़िक्र किया इमाम अली अ.स. के इंसाफ़ और शुजाअत को बयान किया ज़िंदगी और मौत की हकीकत पर रोशनी डाली मरहूम के लिए दुआ-ए-मग़फिरत की अपील की
उनके बयान ने नौजवानों और बुज़ुर्गों दोनों के दिलों पर असर छोड़ा और लोगों को दीनदारी, अख़लाक़ और इंसानियत की तरफ़ मुतवज्जेह किया।
मौलाना मंज़र अली आरफ़ी ने अदा किया शुक्रिया
मजलिस के अंत में मरहूम शब्बीर हुसैन इब्ने शरीफ़ हुसैन के बड़े बेटे मौलाना मंज़र अली आरफ़ी ने सभी शिरका का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया।
उन्होंने कहा कि:लोगों की मौजूदगी उनके लिए हिम्मत और तसल्ल्ली का सबब है मरहूम के लिए की गई दुआएं सबसे बड़ा तोहफ़ा हैं ऐसी मजलिसें समाज को जोड़ती हैं और दीन से राब्ता मज़बूत करती हैं उनके शुक्रिया अदा करने के अंदाज़ ने मजलिस को और भी रूहानी बना दिया।
निष्कर्ष
यह दस्वीं की मजलिस केवल एक रस्म नहीं थी, बल्कि ईमान की मजबूती अहलेबैत अ.स. से मोहब्बत समाजी एकजुटता का ज़रिया बनी। दुआ है कि अल्लाह तआला मरहूम को जन्नतुल-फ़िरदौस में आला मक़ाम अता करे और उनके अहलेख़ाना को सब्र-ए-जमील दे।
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