ईरान में मौलाना कल्बे जवाद नक़वी को पहला इमाम ख़ुमैनी (रह.) अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया
प्रस्तावना
तेहरान/लखनऊ, 18 दिसंबर — भारत और ईरान के धार्मिक‑सांस्कृतिक संबंधों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और गौरवपूर्ण अध्याय उस समय जुड़ गया, जब मजलिसे उलमा‑ए‑हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नक़वी को ईरान में ‘पहला इमाम ख़ुमैनी (रह.) अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार’ प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें हिंदुस्तान में इमाम ख़ुमैनी (रह.) के विचारों, सिद्धांतों और मकतबे इमाम ख़ुमैनी के प्रचार‑प्रसार में उनके निरंतर, प्रभावी और समर्पित योगदान के लिए दिया गया है।
भव्य समारोह में हुआ पुरस्कार प्रदान
यह प्रतिष्ठित पुरस्कार ईरान की राजधानी तेहरान में आयोजित एक भव्य अंतरराष्ट्रीय समारोह के दौरान प्रदान किया गया। समारोह में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान और इमाम ख़ुमैनी (रह.) के पोते हज्जतुल इस्लाम अक़ाए हसन ख़ुमैनी ने संयुक्त रूप से ईरान में मौलाना कल्बे जवाद नक़वी को पहला इमाम ख़ुमैनी (रह.) अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार। इस अवसर पर विभिन्न देशों से आए विद्वान, धर्मगुरु, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक हस्तियां मौजूद रहीं, जिससे कार्यक्रम की गरिमा और अंतरराष्ट्रीय महत्व और अधिक बढ़ गया।
प्रमुख हस्तियों की गरिमामयी उपस्थिति
समारोह में आयतुल्लाह सैय्यद अली ख़ामेनई के सलाहकार हज्जतुल इस्लाम वल मुसलमीन आयतुल्लाह मोहनसिन क़ुम्मी की विशेष उपस्थिति रही। उनके अलावा ईरान के धार्मिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों से जुड़ी अनेक प्रमुख शख़्सियतें भी कार्यक्रम में शामिल हुईं। सभी ने मौलाना कल्बे जवाद नक़वी के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें भारत‑ईरान के बीच वैचारिक सेतु बताया।
मकतबे इमाम ख़ुमैनी के प्रचार में अहम भूमिका
मौलाना कल्बे जवाद नक़वी को यह पुरस्कार विशेष रूप से इस कारण प्रदान किया गया कि उन्होंने भारत में इमाम ख़ुमैनी (रह.) के विचारों—जैसे इंसाफ़, सामाजिक न्याय, मज़लूमों का साथ, आत्मनिर्भरता और नैतिक मूल्यों—को व्यापक स्तर पर फैलाने का कार्य किया। उनके भाषणों, लेखों, संगोष्ठियों और शैक्षणिक प्रयासों के माध्यम से युवा पीढ़ी को मकतबे इमाम ख़ुमैनी से जोड़ने में महत्वपूर्ण सफलता मिली है।
भारत में धार्मिक‑सामाजिक चेतना का सशक्त स्वर
मजलिसे उलमा‑ए‑हिंद के महासचिव के रूप में मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर भी हमेशा संतुलित, जागरूक और साहसी भूमिका निभाई है। उन्होंने विभिन्न मंचों से एकता, भाईचारे और शांति का संदेश दिया, साथ ही समाज के कमजोर और वंचित वर्गों की आवाज़ को मजबूती से उठाया। यही कारण है कि उनका प्रभाव केवल भारत तक सीमित न रहकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्वीकार किया गया।
पुरस्कार पर मौलाना कल्बे जवाद नक़वी की प्रतिक्रिया
‘पहला इमाम ख़ुमैनी (रह.) अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार’ प्राप्त करने के बाद मौलाना कल्बे जवाद नक़वी ने गहरी विनम्रता के साथ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह सैय्यद अली ख़ामेनई, ईरान सरकार, पुरस्कार समिति और सभी संबंधित व्यक्तियों का दिल से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान केवल उनका व्यक्तिगत नहीं, बल्कि उन सभी लोगों का है जो इमाम ख़ुमैनी (रह.) के विचारों को दुनिया तक पहुंचाने के लिए कार्यरत हैं।
भारत‑ईरान संबंधों के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि
विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भारतीय धार्मिक विद्वान को यह अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिलना भारत‑ईरान संबंधों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पुरस्कार दोनों देशों के बीच वैचारिक, धार्मिक और सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत करेगा। साथ ही, यह भारत के धार्मिक विद्वानों की अंतरराष्ट्रीय पहचान को भी रेखांकित करता है। ईरान में मौलाना कल्बे जवाद नक़वी को पहला इमाम ख़ुमैनी (रह.) अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया, जो भारत के लिए गर्व का विषय है। यह सम्मान उन्हें इमाम ख़ुमैनी (रह.) के विचारों, सिद्धांतों और इस्लामी मूल्यों के प्रचार-प्रसार में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रदान किया गया।
भविष्य के लिए प्रेरणास्रोत
मौलाना कल्बे जवाद नक़वी को मिला यह सम्मान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत है। यह संदेश देता है कि सच्ची निष्ठा, विचारों की स्पष्टता और समाज के प्रति ईमानदार सेवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान और पहचान दिला सकती है।
निष्कर्ष
‘पहला इमाम ख़ुमैनी (रह.) अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार’ न केवल मौलाना कल्बे जवाद नक़वी के दशकों लंबे वैचारिक और सामाजिक संघर्ष का सम्मान है, बल्कि यह मकतबे इमाम ख़ुमैनी के वैश्विक प्रभाव का भी प्रमाण है। यह उपलब्धि भारत, ईरान और समूचे इस्लामी जगत के लिए गर्व का विषय है और आने वाले समय में दोनों देशों के बीच वैचारिक सहयोग को नई दिशा देगी।
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