सज्जाद टाइम्स
प्रदर्शन में नेतन्याहू और डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीरों के साथ इज़राइली झंडे को भी जलाया गया, भारत सरकार से इज़राइल का विरोध करने की मांग
लखनऊ 20 जून: ईरान पर इज़राइल के आतंकी हमलों और अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा शियों के महान धर्मगुरु आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामेनई की हत्या की धमकियों के विरोध में आज जुमे की नमाज़ के बाद लखनऊ की आसिफी मस्जिद में एक ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी की सरपरस्ती में जारी इज़राइली आतंकवाद के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की। नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ ‘मुर्दाबाद’ के नारे लगाए गए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ट्रंप और नेतन्याहू की तस्वीरों के साथ इज़राइली झंडे को भी जलाया। प्रदर्शन में ईरान और धार्मिक नेतृत्व (मरजअियत) के समर्थन में भी नारे लगाए गए। इसके अलावा, भारत के कुछ मीडिया चैनलों के खिलाफ भी गुस्सा जताया गया और ‘गोदी मीडिया मुर्दाबाद’ के नारे भी लगाए गए जो लगातार आयतुल्लाह ख़ामेनई का अपमान कर रहे है।
मजलिसे उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी ने अपने ख़िताब में अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा आयतुल्लाह ख़ामेनई को दी गई हत्या की धमकियों की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि आयतुल्लाह ख़ामेनई केवल ईरान के सर्वोच्च नेता नहीं हैं, बल्कि पूरे शिया समुदाय के धार्मिक नेता और मार्गदर्शक हैं। मौलाना ने कहा हम इस तरह की धमकियों को हरगिज़ बर्दाश्त नहीं करेंगे, अगर आयतुल्लाह ख़ामेनई का एक बाल भी बीका हुआ, तो हम भारत की ज़मीन अमरीकियों और इज़राइलियों के लिए तंग कर देंगे। हम किसी अमेरिकी या इज़राइली को भारत में घुसने नहीं देंगे। उन्होंने भारतीय ‘गोदी मीडिया’ की निंदा करते हुए कहा कि भारतीय मीडिया ने पत्रकारिता की सारी मर्यादाएँ तोड़ दी हैं। मीडिया लगातार आयतुल्लाह ख़ामेनई की तौहीन कर रहा है, जो कि पूरी तरह से असहनीय है। भारत सरकार को मीडिया के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए। आखिर मीडिया को इज़राइल से इतनी मोहब्बत क्यों है? अब यह ‘गोदी मीडिया’ इज़राइल जाकर वहां की रिपोर्टिंग क्यों नहीं करता? उन्हें अब इज़राइल जाना चाहिए ताकि उसकी हैसियत का अंदाज़ा हो सके। मौलाना ने कहा कि जब इज़राइल ने ग़ाज़ा को तबाह कर दिया, जहाँ 70 हज़ार से ज़्यादा महिलाओं और बच्चों को मार दिया गया, तब यह मीडिया कहाँ था?उन्होंने आगे कहा हम मीडिया को यह समझाना चाहते हैं कि शिया कभी बंकरों में नहीं छुपते, शिया या तो मैदान-ए-जंग में फतह का झंडा लहराते हैं या शहीद हो जाते हैं, बंकरों में कायर छुपते हैं, जैसे कि नेतन्याहू छिपा हुआ है। मौलाना ने चेतावनी दी कि अगर मीडिया ने अपना रवैया नहीं बदला, तो अगला विरोध प्रदर्शन ‘गोदी मीडिया’ के दफ़्तरों के बाहर होगा। उन्होंने कहा हमने हमेशा मज़लूमों का साथ दिया है और ज़ालिमों के खिलाफ आवाज़ उठाई है, चाहे वो बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहा ज़ुल्म हो या पाकिस्तान में शियों पर। आज ईरान पर ज़ुल्म हो रहा है, इसलिए हम विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अरब देश इज़राइली आतंकवाद पर इसलिए चुप हैं क्योंकि वे ज़ालिमों के मानने वाले और साम्राज्यवादी ताक़तों के ग़ुलाम हैं। मौलाना ने अंत में भारत सरकार से मांग की कि वह फ़िलिस्तीन के मसले पर वही पुराना रुख़ अपनाए जो आज़ादी के बाद महात्मा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी का था, उन्होंने हमेशा इज़राइल को आक्रामणकारी और उसके वजूद को ग़ैरक़ानूनी बताया था, आज भारत को भी वही रुख़ अपनाना चाहिए।
मौलाना एहतिशाम अब्बास ज़ैदी ने कहा कि इज़राइल एक आतंकवादी देश है, जिसने पूरे इलाके में अस्थिरता फैलाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि इज़राइल ने ईरान पर हमला कर के अपने आतंकवादी होने का प्रमाण दिया है। मौलाना ने कहा कि ईरान को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है, और अब वह इज़राइल को उसी की भाषा में जवाब दे रहा है।
नायब इमामे जुमा मौलाना रज़ा हैदर ज़ैदी ने कहा कि आज हर इंसान ईरान के लिए दुआ कर रहा है, सिवाय उन लोगों के जो इज़राइल के गुलाम हैं। उन्होंने कहा कि अगर आयतुल्लाह ख़ामेनई का एक बाल भी बीका हुआ, तो पूरी दुनिया में आग लग जाएगी यह बात अमेरिका भी जानता है और इज़राइल भी।
सज्जाद टाइम
जमाल मिर्जा
विरोध प्रदर्शन में मौलाना सैय्यद कल्बे जवाद नक़वी, मौलाना रज़ा हैदर ज़ैदी, मौलाना एहतिशाम अब्बास ज़ैदी, मौलाना क़मरुल हसन, मौलाना नक़ी अस्करी, मौलाना शबाहत हुसैन, मौलाना ग़ुलाम रज़ा, मौलाना नज़र अब्बास, मौलाना तसनीम मेहदी, मौलाना फ़िरोज़ हुसैन, मौलाना फैज़ बाक़री, मौलाना आदिल फ़राज़ और अन्य उलेमा ने भाग लिया।