गोरखपुर

री-फिलिंग से चमक रहा काला कारोबार, बेखौफ धंधेबाज यही वजह है कि आपूर्ति विभाग इन पर कार्रवाई नहीं करता है.

राजेश कुमार सोनू पाल सज्जाद टाइम्स लखनऊ

 

पुलिस भी सबकुछ देखने और जानने के बाद भी एक्शन नहीं लेती है. कई बार आग लगने की घटना भी हो चुकी है. कुछ दिन दुकानें बंद कर फिर धंधेबाज री-फिलिंग शुरू कर देते हैं.

सड़क पर खुलेआम री-फिलिंग

सड़क से गुजरते समय आप को खुलेआम री-फिलिंग होते दिख जाएगा. धंधेबाज बड़े सिलेंडर से छोटे सिलेंडर में एक उपकरण के जरिए गैस भरते हैं. झटपट तरीके से गैस भरकर यह खासी रकम भी वसूलते हैं. स्टूडेंट्स, किराए पर रहने वाले इसका उपयोग सबसे अधिक करते हैं. बताया जाता है कि धंधेबाज सभी सिलेंडर सेटिंग से हॉकर से खरीदते हैं.

हॉकर दे रहे सिलेंडर

बताया जा रहा है कि इन धंधेबाजों को हॉकर सिलेंडर मुहैया कराते हैं. इन हॉकरों के पास इतनी संख्या में सिलेंडर कहां से मिलता है, यह तो जांच का विषय है लेकिन कुछ पब्लिक का कहना है कि घरों में पहुंचना वाले सिलेंडर में दो से तीन किलो गैस कम होती है. हॉकर चार से पांच सिलेंडर से गैस निकालकर एक नया भरा हुआ सिलेंडर तैयार कर देते हैं. इन्हीं सिलेंडर को वह धंधेबाजों को बेच देते हैं.

इन एरिया में दुकानें

रुस्तमपुर, कजाकपुर, भगतचौराहा, बेतियाहाता, मोहद्दीपुर, असुरन, शेखपुर, मियांबाजार, राजेंद्रनगर, विकासनगर, बरगदवां, शास्त्रीचौक समेत तमाम इलाकों में बेखौफ री-फिलिंग का धंधा चल रहा है. खास बात यह है कि कई जगह दुकानें सड़क पर ही हैं. यहां खुलेआम दुकानों के अंदर गैस री-फिलिंग का धंधा चल रहा है.

हादसे का भी डर

गैस री-फिलिंग से हर वक्त हादसे का भी डर रहता है. धंधेबाज एक उपकरण से गैस बिना सुरक्षा उपकरण लगाए भरते हैं. इस दौरान गैस का रिसाव भी होता है. कई बार यही रिसाव हादसे का कारण भी बनता है. बताया जा रहा है कि शिकायत के बाद भी विभाग कार्रवाई नहीं करता है.

गैस री-फिलिंग सेंटर्स पर घरेलू गैस सिलेंडर की अगर रिफिलिंग हो रही है तो इस मामले में कार्रवाई की जाएगी. डीजे आईनेक्स्ट के कैंपेन का संज्ञान लिया गया है. इस मामले में सख्त कार्रवाई होगा

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