गोरखपुर : जिले के हज यात्रियों को दावते इस्लामी इंडिया की ओर से नार्मल स्थित दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद में तीसरे चरण का हज प्रशिक्षण दिया गया। हज के फराएज, हज के पांच अहम दिन व हज का अमली तरीका बताया गया। प्रशिक्षण के दौरान तल्बिया यानी लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक का अभ्यास जारी रहा। प्रशिक्षण 25 फरवरी व 3 मार्च को भी दिया जाएगा।
हज प्रशिक्षक हाजी मो. आज़म अत्तारी ने बताया कि हज में सात चीजों की अदाएगी पर खास ध्यान देने की जरुरत होती है। जो हज के फ़र्ज़ कहलाते हैं। हज के सात फ़र्ज़ हैं पहला ‘एहराम’ (हज का खास लिबास), दूसरा ‘नीयत’, तीसरा ‘वुकूफ-ए-अरफात’ (मैदान-ए-अरफात में ठहरना), चौथा ‘तवाफ-ए- जियारत’ (काबा शरीफ का सात चक्कर), पांचवां ‘तरतीब’ (सभी अरकान क्रमवार अदा करना), छठवां ‘मुकर्रर वक्त’, सातवां ‘निश्चित जगह’। इसमें से अगर कोई अदा करने से रह गया तो हज अदा न होगा। हज बेहद अहम इबादत है। इसमें सबसे अहम खुलूस है। हज-ए-मबरूर अल्लाह की रज़ा के लिए है। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि हज-ए-मबरूर करने वाला ऐसा होता है मानो आज ही मां के पेट से पैदा हुआ हो। उसके सभी गुनाह माफ हो जाते हैं। हज दीन-ए-इस्लाम का अहम फरीजा है। इसे खुलूसो दिल से अदा करना चाहिए। मक्का मुकर्रमा के पवित्र स्थानों की जानकारी व जियारत का तरीका बताया गया।
प्रशिक्षण की शुरुआत कुरआन-ए-पाक की तिलावत से वसीउल्लाह अत्तारी ने की। नात-ए-पाक मेहताब अत्तारी ने पेश की। अंत में दरूदो-सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। प्रशिक्षण में मो. फरहान अत्तारी, अहमद अत्तारी, शम्स अत्तारी, शादाब अत्तारी, निसार अत्तारी, उवैस अत्तारी, वजीउद्दीन बरकाती, रमज़ान अत्तारी सहित हज यात्री मौजूद रहे।