*देश में सांप्रदायिक एकता की सांझी विरासत को अक्षुण्ण रखने का संकल्प:

उर्दू खबरे

 

मेराज अहमद कमर*

10 मई अट्ठारह सौ सत्तावन को शुरू हुए भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदू मुस्लिम और सिखों के एक बड़े वर्ग ने मिलकर सबसे बड़ी साम्राज्यवादी शक्ति ब्रिटेन को कड़ी चुनौती दी थी। इस असाधारण एकता ने स्वाभाविक रूप से फिरंगियों को बेचैन कर दिया और उन्हें यह सोचने के लिये मजबूर किया कि उनका शासन तभी चल सकता है जब हिंदू और मुस्लिम, दो बड़े धार्मिक समुदाय, सांप्रदायिक आधार पर विभाजित रह सके। इसी विचारधारा को कार्यांवित करने के उद्देश्य से उन्होंने आगे चलकर दो राष्ट्र की संरचना को बढ़ावा दिया और भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित करने में सफल रहे।

एक महत्वपूर्ण तथ्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बारे में यह है कि इस आंदोलन में सभी धर्मों के लोगों ने भागीदारी की, जिसमें नानासाहेब, बहादुर शाह जफर , मौलवी अहमद शाह , तात्या टोपे, खान बहादुर खान, हजरत महल , अजीमुल्ला खान और फिरोज शाह जैसे वीरों ने अपना योगदान दिया और वीरगति को प्राप्त हुए ।

आजादी के बाद अयोध्या, जो कि हिंदू मुस्लिम विवाद के रूप में उभरा; वही अयोध्या प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी बन कर उभरा था। अट्ठारह सौ सत्तावन में अयोध्या के मौलाना आमिर अली और बाबा रामदास ने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई का नेतृत्व किया लेकिन विश्वासघात के कारण पकड़े गए और कुबेर टीला इमली के पेड़ पर दोनों को एक साथ फांसी दे दी गई ।

फैजाबाद के राजा देवी बक्श सिंह के सेनापति अच्छन खान और शंभू प्रसाद शुक्ला थे उन्होंने अंग्रेजों को कई मोर्चों पर शिकस्त दी थी। लेकिन मुखबिरी के कारण पकड़े गए । समाज में बढ़ती हिंदू मुस्लिम एकता की वजह से अंग्रेजों ने जनता में भय का माहौल बनाने के लिए दोनों का सर काट कर लटका दिया था।

इसी तरह के तमाम उदाहरणो से इतिहास भरा पड़ा है जिसमें हिंदू मुस्लिम एकता का जिक्र मिलता है। इन उदाहरणों से यह आसानी से पता चलता है कि अंग्रेजों ने हिंदू मुस्लिम को क्यों लड़वाया। उनके भारत में रहने के लिए बहुत जरूरी था कि हिंदू मुस्लिम एकता ना बची रहे और इसी भय के चलते अंग्रेजों ने हिंदू मुस्लिम एकता को तोड़ने का हर संभव प्रयास किया और सफल हुए। अब समय आ गया है कि हम प्रण लें कि हम अपनी सांझी विरासत को कभी मिटने नहीं देंगे।

1 thought on “*देश में सांप्रदायिक एकता की सांझी विरासत को अक्षुण्ण रखने का संकल्प:

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