संजीव श्रीवास्तव
लखनऊ
सरकार के तमाम दावो के विपरीत राज्य मे अपराधियों के हौसले बुलंद है ।।
अतीक अशरफ हत्या कांड के उपरांत सजीव महेश्वरी उफँ संजीव जीवा की दिन दहाडे कोटँ परिसर मे हत्या इसका जीता जागता सबूत है ।।
इससे पहले भी जेल परिसर मे अननू हत्या कांड, मुन्ना बजरंगी की हत्या व तिहाई जेल मे हत्या अपराध और अपराधियों के दुससाहस को बयॉ करती है
अपराधी कोई भी हो उसका दुससाहस तभी बढता है जब कानून का इकबाल कमजोर होता है ।।
इसी प्रकार सीतापुर जनपद मे शौच गई बालिका के साथ बलात्कार की धटना उत्तर प्रदेश मे खुले मे शौच मुक्ति की दास्तान कह रही है ।
अपराध और अपराधी स्थानीय खुफाई इकाई की ढिलाई का फायदा उठा कर घटना को अंजाम देते है ।।
90 को दशक मे स्थानीय पुलिस स्तर पर मुखबिर तंत्र इतना मजबूत था कई बडे हत्या कांड मुखबिर की सटीक सूचना पर विफल कर दिये गये गॉव गली देहात शहर जिला और राजधानी स्तर पर अपराधी अपराध करने से पूर्व अपने हावभाव और गतिविधि द्वारा पकड़ मे आ सकते है जरूरत है जरूरी पुलिसिंग की हत्यारा चाहे वकील की वेशभूषा मे हो या देहात की पग दंडी मे बलात्कार की फिराक मे सदी वदीं धारी पुलिस की नजर से बच नही सकता ।।
जरूरत उन शौच मुक्त उदघोषणा करने वाले अधिकारियों पर कडी कायँवाही करने और कुख्यात अपराधियों के जेल से बाहर ले जाने वाले व अन्य सुरक्षा अधिकारियों को दंडित करने की है राज्य मे कानून का इकबाल कायम होते देर नही लगेगी ।।