मुस्लिमो के अंतरराष्ट्रीय संगठनो की भारत में सामाजिक विभाजन पैदा करने की एक कोशिश

राजनीति

 

मौलाना मेराज अहमद क़मर

विविधता में एकता को विश्व में कोई अगर सही ढंग से दर्शाता है तो वह भारत है। लगभग 135 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत में हर धर्म, नस्ल और विभिन्न संस्कृति वाले लोग आदर और सद्भावना के साथ रहते हैं। इतनी बड़ी जनसंख्या होने के कारण यदा-कदा कुछ आंतरिक मनमुटाव की खबरें आती रहती हैं जो कि एक स्वाभाविक प्रक्रिया है पर इन छुटपुट घटनाओं को बढ़ा चढ़ाकर दिखाने की कोशिश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जा रही है। हाल ही में संपन्न हुए रामनवमी समारोह के दौरान छिटपुट हिंसा के मामलों की वजह से भारत की मुस्लिम विरोधी छवि प्रस्तुत करने की कोशिश मुस्लिमो के एक अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा की गई है।
पिछले कुछ सालों में भी इस संगठन ने भारत के आंतरिक मामलों में दखल देते हुए यासीन मलिक जैसे घोषित आतंकवादी के पक्ष में भारत की आलोचना की है। साथ ही इसके अध्यक्ष ने भी मार्च 2023 आयोजित में संपर्क समूह की मीटिंग के दौरान कश्मीर पर एक टिप्पणी की है और इसके साथ ही एक बयान जारी करके कश्मीरी लोगों के पक्ष में प्रयासों को दोगुना करने की आवश्यकता पर बल दिया है। इसके अलावा यह संगठन गाहे-बगाहे भारत पर पाकिस्तान के द्वारा दिए गए बयानों का भी समर्थन करता रहता है। रामनवमी के बाद की हिंसा को अधिकतर भारतीय मुसलमान स्थानीय आधारित मुद्दों के रूप में ले रहे हैं ये जानने के बाद भी यह संगठन भारत की छवि ख़राब करने के लिये कर रही है।
उधर दूसरी ओर त्यौहारों पर आयोजित होने वाले जुलूस/ कार्यक्रमों के आयोजकों और इसमें शामिल होने वाले सामाजिक लोगों की भी अपनी जिम्मेदारी को निभाना चाहिये ताकि उनके द्वारा आयोजित कार्यक्रमों का लाभ असामाजिक तत्व ना उठा पाए तथा बीच-बीच आपस मे सद्भावना, शांतिपूर्ण और सह-अस्तित्व के विषयों को बढ़ावा देने की भी जरूरत है। देश में किसी भी सम्प्रदायिक घटना के लिये विभाजनकारी शक्तियां जिम्मेदार हैं। वही इसका फायदा उठाती हैं अतः हम सब को देश के हित में ऐसी घटनाओं को होने से पहले ही रोकने का प्रयास करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *