सियासी लोगों को अपनी मन मर्ज़ी जनता में जनाधार चाहिए। इस के लिए कोई तो मुद्दा होना चाहिए; बेरोजगारी, मंहेगाई, गरीबी, हत्या, बलात्कार, रिश्वत, नाइंसाफी, ठगी, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, यातायात जैसी समस्याएं मुद्दा न हो कर सिर्फ धर्म ही मुद्दा क्यूँ है? इस पर हर भारतीय नागरिक को ध्यान देने की जरुरत है। लेकिन इस ओर ध्यान जायेगा नहीं क्यूंकि हम धार्मिक के बजाये विधर्मी हो गये हैं। विधर्मी इसलिए कि हमारे सारे कर्म धर्मांधता के हैं, जिनका धर्म से कोई सरोकार नहीं। सनातन शिक्षा वसुधैव कुटुंबकम की है। इस्लाम की शिक्षा इनअल्लाह ला युहिब्बुल मुफसिदीन है। सनातन धर्म कहता है मनुष्य ईश्वर की संतान है। इस्लाम मतानुसार आदम को मैंने मिट्टी से बनाया है। हिंदू धर्म के अनुसार संतान उत्पति के लिए तत्पुरुष के वामांग (बाएं भाग) से उसके लिए एक महिला को जन्मित किया है; जबकि इस्लाम के मतानुसार अल्लाह ने आदम की (बाईं) पसली से हव्वा को पैदा किया है। सनातन मानता है कि ब्रह्ममा, जगदेश्वर, अंतर्यामी, सर्वशक्तिमान सब ईश्वर में निहित हैं और इस्लाम के अनुसार अल्लाह, अकबर, खालिक, आलिम उल गैब, कादिर ए मुतलक सब एक हैं। सनातन धर्म मानता है ईश्वर संसार के कण कण में विद्यमान है वहीं इस्लाम कहता है इस कायनात के जर्रे जर्रे में अल्लाह का अस्तित्व है। ईश्वर कहता है मैं एक हूँ अल्लाह कहता है मैं वाहिद (अकेला) हूँ ईश्वर कहता है मेरी बंदगी करो अल्लाह कहता है मेरी इबादत करो ईश्वर कहता है सत्य बोलो अल्लाह कहता है सादिक रहो ईश्वर कहता है अन्याय न करो अल्लाह कहता है इंसाफ कायम करो कुरआन और वेदों के अनुसार उपरोक्त समस्त शब्दावली अखंडनीय धर्म (धार्मिक नियम) है जिन से कोई हिन्दू मुस्लमान इंकार नहीं कर सकता लेकिन हम चुंकि अधर्म मार्गी हैं इसलिए अल्लाह ईश्वर के बताये मार्ग पर चलने के बजाए अपने द्वारा बनाए नियमों को धर्म की संज्ञा दे कर मानवता के दुश्मन बन गए हैं यही कारण है कि धर्म के नाम पर अधर्म फैला कर स्वंम को धर्म का ठेकेदार कहलाना अपने लिए बहुत बड़ी उपाधि समझते हैं हमारी इसी सोच को चतुर संसार लोभी लोगों ने अपनी कामयाबी का अस्त्र बना लिया है अधर्म में डूबे हम लोग चरमपंथी हो गए हैं जबकि संसार का कोई धर्म उग्रवाद, चरमपंथ, घृणा, द्वेष, दंगा फसाद हत्या, व्यभिचार, छल-कपट, अन्याय, चोरी, डकैती, लूटपाट की शिक्षा नहीं देता।
हमारे देश का यह दुर्भाग्य है कि यहाँ के राजनीतिज्ञ धर्म के परदे में अधर्म परोस कर हमारे जलते घरों की आग पर अपनी रोटियां सेंक मौज करते हैं और हमें नाना प्रकार के लालच देकर हमारा वोट लेकर अपनी गाड़ी अपना बांग्ला अपना बैंक बैलेंस में मस्त हमें अपना खेत अपना हल अपनी मेंहनत अपनी मजदूरी के सहारे बिना राजधर्म निभाए गायब होजाते हैं।
देशवासियों पहला कर्तव्य है कि वे अपने अपने धर्म का पालन करें लेकिन अन्य धर्मों का आदर सम्मान बनाए रखें और भाषाई अंतर को समझकर सभी धर्मों का अध्यन करें और सहिष्णुता धार्मिक बंधुता मानवता राष्ट्रीय एकता अखंडता शांति सदभावना के दीप रोशन कर इस अंधकार को मिटाने के लिए उठ खड़े हों तभी देश विश्व गुरु बन पाए गा सपने देखने से कुछ नहीं हो गा देश तभी मजबूत होगा जब धर्म पंथ की राजनीति ऊपर उठ कर मानवता की सेवा को प्राथमिकता दी जाएगी।