इंसानियत का विस्तार सभी सरहदों के पार भी कायम रहे मौलाना मेराज अहमद क़मर

उत्तर प्रदेश देश विविध

 

किसी भी दो देशों के अपने अलग अलग हित हो सकते है; ये उनकी रक्षात्मक, भौगोलिक, राजनैतिक इत्यादि मुद्दों पर। लेकिन उनके हित बिना इंसानियत के धरातल पर सकारात्मक सोच की बुनियाद पर टिकने अलावा संभव नहीं हैं। किसी भी देश के लिए उसके देश के हित और वहां की आवाम सर्वोपरि है। पर जहां इंसानियत की बात आती है तो उस समय सीमाओं की संक्षिप्त मानसिकता से ऊपर उठ कर ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ पर आधारित हित को ध्यान में रखा जाना सर्वदा मुनासिफ होता है। वैसे तो हमारे देश का मूल मंत्र यही है जो सरहद, मजहब, भाषा से ऊपर है। अभी कुछ समय पहले हमारे देश ने इस सिद्धांत को अमली जामा पहनाते हुए पूरी दुनिया को उसके सदियों पुराने इस सिद्धांत को सही साबित किया और सीरिया व तुर्की में प्राकृतिक विनाश के बाद तुरंत राहत सामग्री जिसमे खाने का सामान, दवाइयों के साथ ही बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ के जवानों को लगाया, जिनकी वजह से हजारों सीरिया व तुर्की के नागरिकों की जान और माल की हिफाजत हो सकी। वैचारिक मतभेद होते हुए भी भारत सरकार और भारतीय सेना व भारतीयों की काफी प्रशंसा हुई। तुर्की और सीरिया ही नहीं बल्कि आलीमे जगत के मुल्कों ने भी भारत की इस पहल की तारीफ़ की।
ऐसा नहीं कि हमने पहली बार ऐसा किया हो, ये ही तो हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति है। हमने पूर्व में भी श्रीलंका, मालदीव, नेपाल, भूटान और बंगला देश व पाकिस्तान को भी उनके आपदा के समय में अपनी पारंपरिक सद्भावना के अनुरूप कार्य करते हुए उन राष्ट्रों को मदद पहुंचाई। चाहे फिर वो वहां की रसद की जरूरत हो, दवा हो। करोना काल में भी इन देशों में हम दवाओं, वैक्सीन की मदद में सबसे आगे रहे। हमने अपने मुल्क के लोगो की ही तरह इन देश के लोगो को भी अपना परिवार समझा और एक बार फिर साबित कर दिया कि वसुधैव कुटुम्बकम की हमारी विरासत की नीव बहुत मजबूत है ।

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