उमेश पाल केस: अतीक समेत तीन को उम्र कैद, भाई समेत 7 बरी

प्रयागराज की एक सांसद/विधायक अदालत ने गैंगस्टर अतीक अहमद और दो अन्य को 2006 में बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल के अपहरण का दोषी ठहराया है। कोर्ट ने तीनों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने तीनों दोषियों पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। मंगलवार को कोर्ट ने अदालत परिसर में भारी भीड़ के बीच सजा का ऐलान किया। आपको बता दें, कोर्ट ने इस मामले में अतीक अहमद, दिनेश पासी और खान सौलत हनीफ को दोषी करार दिया था, वहीं 10 में से 7 आरोपियों को बरी कर दिया था। बरी किए गए आरोपियों में अतीक का भाई अशरफ का भी नाम शामिल है।

उमेश पाल अपहरण मामला 17 साल पुराना है। इस मामले में अतीक अहमद मुख्य आरोपी था। उमेश पाल ने उस समय आरोप लगाया था कि 28 फरवरी 2006 के अतीक अहमद ने उसका अपहरण करवाया। उसके साथ मारपीट और जान से मारने की धमकी दी, क्योंकि वह राजू पाल हत्याकांड का एकमात्र गवाह था।

उमेश के मुताबिक, 28 फरवरी 2006 को अतीक अहमद की लैंड क्रूजर कार समेत एक अन्य वाहन ने उसका रास्ता रोका और घेर लिया। उस कार से दिनेश पासी, अंसार बाबा और अन्य लोग नीचे ऊतरे और उन्होंने उस पर पिस्तौल तान दी और कार में खींच लिया। कार के अंदर अतीक अहमद और तीन अन्य लोग राइफल लेकर बैठे थे। उससे मारपीट की गई और चकिया स्थित अपने दफ्तर लेकर पहुंचे। कमरे में बंद कर उसके साथ मारपीट की गई। उसे करंट के झटके भी दिए गए।

उधर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अतीक अहमद की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उसने उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत के दौरान सुरक्षा की मांग की थी। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने अहमद के वकील से उचित आवेदन के साथ उच्च न्यायालय जाने को कहा। वकील ने जोर देकर कहा कि उनके मुवक्किल की सुरक्षा दांव पर है, यूपी पुलिस हिरासत में रहते हुए उसके जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इस पर बेंच ने जवाब दिया, राज्य मशीनरी आपका ख्याल रखेगी। याचिकाकर्ता ने अपने जीवन की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश मांगा कि पुलिस हिरासत/रिमांड/पूछताछ के दौरान किसी भी तरह से उसे कोई शारीरिक चोट या नुकसान न पहुंचे।

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