ज़मीर मरा है शरीर नही

देश

 

लखनऊ ( संजीव ञीवासतव )

दिल्ली मे सरेराह 21 बार चाकुओ से गोदकर एंव पत्थर से वार कर साझी की हत्या से ज्यादा वीभत्स घटना के दौरान मूक एंव जमीर विहीन 27 लोगो का बिना विचलित होकर गुजरना कायराना नही अपराधिक कूतय है हॉलाकि कानून की धाराओ मे इसके लिये कोई दंड का प्रावधान नही है यदि ऐसा घटनाक्रम राह गुजरते लोगो के किसी परिजन के साथ होता तब कया यह मुक्ता चीख चिललाहट प्रतिरोध मे बदलती यझ प्रश्न है ??
साझी का अंजाम मौत एंव हत्यारे साहिल का अंजाम कोटं तय करेंगा विडियो फुटेज के अनुसार राह गुजरते लोगो की मुकदमे मे गवाही एंव घटना के दौरन मूकता पर जज साहब की टिप्पणी महत्वपूर्ण है ।।
रोडरेज के दौरान राहगीरो की यह हरकते नई नही है ।।
हॉ समय इन पर विस्तृत चचॉ का ज़रूर है ।।
जिंदा शरीर और मरे हुए जमीरो का इंटरव्यू भी पञकारो के लिये जरूरी है ।।
ताकि आने वाला समय और घटना मे हताहत पीड़ितों के परिवार इस अमानवीयता से सीख लेकर फिर किसी राह चलते मासूम को एेसी दरिंदगी से बचा सके ।।

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