इमामबाड़ा सैयद तक़ी साहब जन्नत मआब में अशरए मोहर्रम की

दूसरी मजलिस
इमामबाड़ा सैयद तक़ी साहब अकबरी गेट लखनऊ में अशरए मोहर्रम की दूसरी मजलिस को ‘‘इनज़ारे नबी व हिदायते वली’’ के उनवान से सम्बोधित करते हुए मौलाना सैयद सैफ़ अब्बास ने कहा कि अल्लाह ने हर धर्म जाति के लिये एक न एक रहबर भेजा है तो यह कैसे संभव है कि अंतिम नबी हाज़रत मोहम्मद स. जो समस्त संसार के लिये रहमत बनकर आये वह अपने बाद उम्मत को बग़ैर हादी के छोड़ दें जबकि मालूम है कि क़ौम में बटवारा संभव है और यह भय है कि लोग उल्टे पाओं फिर न जायें इसी लिये हमारे नबी ने ईश्वर के निर्देशानुसार गदीर के मैदान में यह एलान हो जाये कि उम्मत का पेशवा हादी कौन है ताकि उम्मत आपसी भेद भाव से बच सके इसी लिये नबी मोहम्मद स. ने यह एलान किया कि जिसका मैं सरपरस्त व रहबर हूँ उसके यह अली भी रहबर हैं। इस तरह से उम्मत के लिये एक हादी और वली का चयन किया।
अंत में मौलाना ने नबी के नवासे इमाम हुसैन अ.स. का अपने घर वालों समेत करबला में पहुंचने का ज़िक्र किया। वहा मौजूद अज़ादारों ने वाक़िआते करबला सुनकर गिर्या व मातम किया।

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