बिजनौर: हाईवे पर डाली गंगा की रेत, अब निकल रहे कछुए हजारों की मौत
संवाददाता राजेश कुमार अमन कुमार पासी सज्जाद टाइम्स लखनऊ
जानें क्या है वजह उत्तर प्रदेश के बिजनौर में फोर लेन हाईवे निर्माण के लिये पोकलेन मशीन से गंगा की खुदाई कर रेत निकाली जा रही है. हाईवे बनाने के लिए भराव में इस रेत का इस्तेमाल किया जा रहा है. जब इस रेत को कंस्ट्रक्शन साइट पर लाया गया तो इसके साथ हजारों कछुओं के अंडे भी आ गए.रेत के साथ कछुओं के हजारों अंडे भी आ गये. अब इन अंडो से कछुए निकल रहे हैं और बेमौत मारे जा रहे हैं.
मेरठ से बहसूमा, बिजनौर, नजीबाबाद होते हुऐ कोटद्वार पौड़ी नेशनल हाईवे का निर्माण चल रहा है. बहसूमा से बिजनौर तक हाईवे निर्माण को हस्तिनापुर वाइल्ड लाइफ सैंचुरी की वजह से संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है. वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन मानकों को अपनाते हुए इनका निर्माण किया जाना है. वन विभाग की अनदेखी और हमसाजी से हाईवे निर्माण में लगी कंस्ट्र्क्शन कंपनी ने बिजनौर में गंगा नदी में ही पोकलेन मशीन उतार कर गंगा की खुदाई शुरु कर दी. गंगा के रेत से सडक का भराव शुरू कर दिया. शाम होते ही सैकडों ट्राली और डंपरों से गंगा की रेत सड़क के किनारे भराव के लिये डाला जाने लगा. दिन भर ठेकेदार उस रेत को स्क्रैपर से लेवल करा देते हैं.
वाइल्ड लाइफ सैंचुरी क्षेत्र में गंगा की खुदाई कर रेत के भराव की जानकारी जब बिजनौर प्रशासन को लगी तो खनन अधिकारी सुभाष रंजन और फोरेस्ट रेंजर महेश गौतम ने कंस्ट्रक्शन कंम्पनी को नोटिस जारी किया है. नोटिस में बताया है कि रेत-खनन, अभिवहन और भंडारण संबंधी जरूरी कागजात प्रपत्र दिखाने की मांग की है. जिस पर कंस्ट्रक्शन कंम्पनी के प्रतिनिधि कोई वैध कागज नहीं दिखा पाए. जिस पर बिजनौर खनन विभाग ने भराव करने वाली केसीआर कंपनी को एक करोड़ रुपये रुपये जुर्माना जमा कराने का नोटिस तामील करा दिया है.
डीएफओ ने क्या कहा?
बिजनौर वन विभाग के डीएफओ ज्ञान सिंह ने बताया कि केसीआर कंम्पनी के खिलाफ सैंचुरी क्षेत्र में अवैध खनन परिवहन और भंडारण के आरोप में बिजनौर रेंजर द्वारा वन अपराध अभियोग दर्ज कराया है. एनएचआई से भी जबाव तलब किया गया है, इसके साथ ही लापरवाही के आरोप में मुजफ्फरनगर जिले की जानसठ रेंज के रेंजर रविकांत को फोरेस्ट कंजर्वेटर ने सस्पेंड कर दिया है.
क्या अपराधियों को मिलेगी सजा?
भराव के लिये लाये गये गंगा के रेत में कछुओं के अंडे भी आ जाने के साथ अब इन अंडों से निकलने वाले नवजात बच्चों की जान जा रही है. नवंबर-दिसंबर तक कछुए अंडे देते हैं और जनवरी में अंडों से बच्चे बाहर निकलते हैं. इसीलिए अब भराव किए गए रेत के ढेरों से कछुओं के बच्चे घूमते दिखाई दे रहे हैं. वहीं खनन विभाग के अवैध खनन करने पर एक करोड़ रूपए के जुर्माने और वन विभाग द्वारा वनअपराध का मुकदमा दर्ज होने के बाद भराव करने वाली केसीआर कंस्ट्रक्शन कंपनी ने रेत को ढकने के लिये ऊपर से मिट्टी की लेयर डालनी शुरु कर दी है. बड़ा सवाल ये है कि हजारों कछुओं को मौत के घाट उतारने वालों को क्या कभी सजा मिलेगी?