गोरखपुर : पुण्य तिथि याद किए गए मिर्ज़ा गालिब – आने वाली पीढ़ियाँ उर्दू भाषा और संस्कृति से कहीं वंचित ना रह जाएं – महबूब सईद हारिस

गोरखपुर : यास्मीन शरीफ वेलफेयर सोसाइटी, गोरखपुर के बैनर तले प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. अज़ीज़ अहमद के आवास पर एक शाम गालिब शीर्षक से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें अध्यक्षता डॉ अजीज अहमद, मुख्य अतिथि महबूब सईद हारिस, विशिष्ट अतिथि पूर्व चेयरमैन चौधरी कैफ उलवराअंसारी, सम्मानित अतिथि प्रोफेसर मुख्तार हुसैन खान आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र कुरान के पाठ से हुई। बाद में, क़ाज़ी अब्दुर्रहमान ने ग़ालिब पर अपने भाषण से दर्शकों का ध्यान आकृष्ट किया, इसके बाद डा.अशफाक अहमद उमर ने ग़ालिब को श्रद्धांजलि के रूप में हाली की एक नज़्म, मरसिया ए ग़ालिब प्रस्तुत की। प्रसिद्ध नाज़िम एवं शायर डॉ. कलीम कैसर ने गालिब पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। आकाशवाणी के उद्घोषक फ़र्रूख़ जमाल ने अपने खूबसूरत निज़ामत के साथ साथ साहिर लुधियानवी की मशहूर नज़्म “जश्न ए ग़ालिब” खूबसूरत अंदाज़ में पेश की। इस मौक़े पर प्रसिद्ध एवं सुप्रसिद्ध सामाजिक एवं साहित्यिक हस्ती एवं मियां साहब इस्लामिया इंटर कॉलेज के प्रबंधक महबूब सईद हारिस ने मिर्ज़ा ग़ालिब को खेराज़ ए अक़ीदत पेश करते हुए कहा कि उर्दू का मुस्तक़बिल रौशन नहीं है यह सोचकर कि अगर हम उर्दू के प्रति ऐसे ही चुप रहेंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इस भाषा और संस्कृति से वंचित हो जायेंगी। उन्होंने ने कहा कि इस प्रकार के साहित्यिक आयोजन हमेशा होते रहना चाहिए। अध्यक्षीय भाषण में डॉ अज़ीज़ अहमद ने कहा कि हमारा रिश्ता एक सभ्यता से है और उर्दू भी एक पूरी सभ्यता की भाषा है। ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए ताकि हमारी नई पीढ़ी को पता चले कि हमारे बुजुर्गों ने भाषा और साहित्य के लिए क्या उपलब्धियां हासिल की हैं। कार्यक्रम के दूसरे दौर में एक काव्य सत्र का भी आयोजन किया गया। जिसमें डॉ. मुहम्मद शोएब नदीम, नुसरत अतीक़, डॉ.फरीद क़मर,आसिफ सईद, नदीमुल्लाह अब्बासी नदीम,मोहम्मद अनवर ज़िया और डॉ.कलीम कैंसर ने अपनी शायरी से महफिल में जान डाल दी। इस अवसर पर जनाब मोहम्मद इफ़राहीम, अब्दुल्ला सेराज,डॉ.ताहिर अली, इंजीनियर मुहम्मद रफी,क़ाज़ी मोहम्मद उमैर ,मनोज सिंह,अनिता अग्रवाल,ऐहतेशाम अफसर, क़ाज़ी कलीमुल हक़, अनवार आलम, नावेद, मुहम्मद आज़म, डॉ रुश्दा क़ुदसिया, इरफान सिद्दीक़ी, मुहम्मद शाकिर , सैयद रूमी समेत बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

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