आगे बढ़ने के लिए तालीम ही एक रास्ता है…. डा. नुजहत इस्लाम अमन का पैगाम देता है, आतंकवाद से इसका कोई सरोकार नहीं है …. बेगम शहनाज शिदरत
77वे यौमे आजादी के मौके पर दिनांक 15 अगस्त को “”जश्न ए आजादी और महिलाओं की भूमिका” पर एक गोष्ठी का आयोजन जनाना पार्क, अमीनाबाद में बज्म ए खवातीन लखनऊ द्वारा किया गया जिसकी सदारत बज्म की सदर बेगम शाहनाज सिदरत तथा संचालन करामत पीजी की प्रोफेसर डा . तस्लीम चिश्ती साहिबा ने किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की डीन डा .नुजहत साहिबा व विशिष्ट अतिथि महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की सदर शाइस्ता अंबर साहिबा के अलावा उपस्थित महिलाओं ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आजादी हमारे बुजुर्गो के खून पसीने और जान की कुर्बानी दे कर मिली है इसे समृद्धशाली बनाना हमारी और आने वाली नस्लों का काम है। इसके लिए कौमी एकता व परस्पर भाईचारा, सहयोग सभी धर्मो के लोगो के बीच जरूरी है। अपने पड़ोसियों और मुहल्लो से इसकी शुरुआत करनी होगी। हमे आपस में विश्वास और सौहार्द पैदा कर निश्चय करना होगा की चाहे कुछ भी परिस्तिथियां आ जाए सब को मिल कर रहना है और एक दूसरे के मजहब का सम्मान करना है। उनके दुख सुख में शामिल हो एक दूसरे के पर्व में सहयोग करे। बज्म का भी मूल उद्देश्य राष्टीय एकता और शिक्षा है। हम हिंदू मुस्लिम कार्ड के चक्कर में न पड़ कर एक दूसरे पर भरोसा करे। जिसकी बात अच्छी हो उसे स्वीकार करे, अफवाह पर भरोसा न करे, एक दूसरे के मजहब का सम्मान करे जिससे इत्तेहाद कायम हो जाए। जहा तक उग्रवाद और मुस्लिम की बात होती है तो मैं कहूंगी कि इस्लाम अमन का मजहब है जो आतंकी गतिविधियों में शामिल है वे न तो इस्लाम को जानते है और न ही वो सच्चे मुस्लिम है। कुरान भी हमें पड़ोसियों के साथ सद्भाव का पैगाम देता है। किसी को तकलीफ देना कुरान में गुनाह बताया गया है। आजादी में महिलाओं का योगदान पुरुषो से कही कम नहीं है अगर आप इतिहास देखे तो भरा है। महिलाओं ने जंगे आजादी में खास तौर पर मुस्लिम महिलाए, पर्दा और इस्लामी संस्कारों को निभाते हुए अपना योगदान दिया है। आइए हम अहद करे कि अपने मोहल्ले से ही हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब मिल कर इत्तेहाद शुरू करे और गंगा जमुनी तहजीब को मजबूत करे। कार्यक्रम में शाहीन बानो ने ए वतन मेरे वतन, सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्ता हमारा व बज्म की मेम्बर ने ऐ मेरे वतन के लोगो तराने से सभी को भावुक कर दिया। कार्य क्रम में डा नुजहत को ऐजाज ए बज़्म व शाहीन बेगम, तरन वीर कौर, रेणुका त्रिपाठी और शैल शुक्ला आदि को सम्मानित किया गया। प्रोग्राम का समापन राष्ट्र गान के साथ हुआ।
