* कोरोना जैसी गंभीर महामारी पर सरकार नहीं गंभीर- कृष्णकांत पाण्डेय

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उत्तर प्रदेश की सरकार भाषणों की सरकार बन कर रह गई है, जिसमें उपमुख्यमंत्री जिनके पास स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग है, जो पूरी तरह लापरवाही से परिपूर्ण है। लापरवाही का आलम यह है कि कोरोना संक्रमित केस मिलने शुरू हो गये हैं, वहीं पर एम्बुलेंस न मिलने के कारण मजदूर दम तोड़ रहें हैं तथा शव ठेलिया पर ले जाने के लिए परिजन मजबूर हैं। निजी अस्पतालों में लापरवाही का आलम यह है कि मरीज जहां दम तोड़ दे रहें हैं वहीं स्वास्थय विभाग जांच की बात कर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जा रहा है।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता कृष्णकांत पाण्डेय ने जानकारी देते हुए बताया कि जनपद लखीमपुर खीरी में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की एक महिला शिक्षक सहित 36 छात्राएं कोरोना संक्रमित मिली जबकि इसके पूर्व में भी कई छात्राएं सक्रमित मिल चुकी थी। प्रदेश सरकार तब संज्ञान लेती है जब घटना घटित हो जाती है। पूरे प्रदेश में 48 नये मरीज एक दिन में मिले हैं जो संख्या बढ़कर लगभग 250 के आस पास हो गई है। लखनऊ में ही एक दिन में 6 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है जिसे लेकर लखनऊ में अब कुल 24 सक्रिय संक्रमित हैं।

श्री पाण्डेय ने आगे बताया कि कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या चिन्ता का विषय है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब तक कोरोना जैसे गंभीर बीमारी के प्रति कोई समीक्षा बैठक न कर अपनी लापरवाही को ही दर्शा रही है। मोहनलाल गंज के पास कबाड़ का काम करने वाला एक मजदूर गंभीर हालत में एम्बुलेंस न मिलने के कारण ठेलिया पर परिजनों द्वारा सामुदायिक स्वास्थय केन्द्र ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया पत्नी शव को घर ले जाने के लिए भी मदद की गुहार लगाती रही लेकिन वाह रे स्वास्थय विभाग कोई मदद नहीं कर सका ठेलिया पर ही शव को वापस ले जाया गया, पांच किलोमीटर तक पत्नी शव के पीछे-पीछे पैदल चलती रही। इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग और उत्तर प्रदेश सरकार स्वयं अपनी पीठ थपथपाती है।

श्री पाण्डेय ने कहा कि विगत 6 वर्षों से स्वास्थ्य विभाग का यह हाल देखने को मिल रहा है। किसी भी व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण एवं प्राथमिक आवश्यकता होती है लेकिन इसी सरकार में केजीएमयू 23वें से 75वें स्थान पर पहंुचते देखा गया। यही डिप्टी सीएम ओपीडी में खुद का पंजीकरण नहीं करा सके, इसी मेडिकल कॉलेज में ओएसडी, उप कुल सचिव व आईटी सेल इन्जार्च का पद सभालते दिखे चिकित्सक, एम्बुलेंस में तड़पते हुए मरीज की मौत कोई भी कार्यवाही न होना भी इसी सरकार में देखा गया। विगत दिनों इसी मेडिकल यूनिवर्सिटी में तीमारदार को ग्लूकोज स्टैंड बनते भी देखा गया लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार देखने को नहीं मिला।

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