माह-ए-रमज़ान की बहार चारों तरफ छाई हुई है। रोजेदारों से इबादतगाह गुलजार है। 19वां रोजा मंगलवार को पूरा हो गया। इबादत का सिलसिला जारी है। मस्जिद व घरों में इबादत के साथ तिलावत का दौर चल रहा है। दुआ मांगी जा रही है।
रमज़ान का दूसरा अशरा बुधवार की शाम समाप्त हो जाएगा और तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का शुरू होगा। तीसरे अशरे में शहर की तमाम मस्जिदों में दस दिनों का एतिकाफ किया जाएगा। शबे कद्र की ताक रात बुधवार 12 अप्रैल (21वीं रात), शुक्रवार 14 अप्रैल (23वीं रात), रविवार 16 अप्रैल (25वीं रात), मंगलवार 18 अप्रैल (27वीं रात) व गुरुवार 20 अप्रैल (29वीं रात) को पड़ेगी। हमें उक्त रातों की कद्र करते हुए खूब इबादत करनी चाहिए।
शबे कद्र की रात में इबादत करने का है बहुत सवाब
शबे कद्र के बारे में अल्लाह तआला फरमाता है कि बेशक हमनें कुरआन को शबे कद्र में उतारा। शबे कद्र हजार महीनों से बेहतर है यानी हजार महीना तक इबादत करने का जिस कदर सवाब है उससे ज्यादा शबे कद्र में इबादत का सवाब है। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया शबे कद्र अल्लाह तआला ने मेरी उम्मत को अता की है। यह पहली उम्मतों को नहीं मिली। हजरत आयशा रदिअल्लाहु अन्हा से मरवी है कि पैगंबरे इस्लाम ने फरमाया शबे कद्र को आखिरी अशरा की ताक रातों में तलाश करो यानी रमज़ान की 21, 23, 25, 27, 29 में तलाशो।
बुधवार शाम से शुरू होगा एतिकाफ
रमज़ानुल मुबारक के आखिरी अशरा का एतिकाफ सुन्नते मुअक्कदा अलल किफाया है यानी मोहल्ले की मस्जिद में किसी एक ने कर लिया तो सबकी तरफ से अदा हो गया और अगर किसी एक ने भी न किया तो सभी गुनाहगार हुए। महिलाएं घर में एतिकाफ कर सकती हैं। वह घर का कोई एक हिस्सा निर्धारित कर लें और वहीं एतिकाफ करें। कोई खास मजबूरी न हो तो माह-ए-रमज़ान के आखिरी अशरा के एतिकाफ की सआदत हरगिज नहीं छोड़नी चाहिए। कम अज कम ज़िन्दगी में एक बार तो हर इस्लामी भाई को रमज़ान के आखिरी अशरा का एतिकाफ करना ही चाहिए। हदीस में है कि एतिकाफ करने वाले को हज व उमरा का सवाब मिलता है। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख्स रमज़ान के आखिरी दस दिनों में सच्चे दिल के साथ एतिकाफ करेगा। अल्लाह उसके नाम-ए-आमाल में हजार साल की इबादत दर्ज फरमाएगा और कयामत के दिन उसको अपने अर्श के साये में जगह देगा। बुधवार 12 अप्रैल की शाम से एतिकाफ शुरु होगा।