गोरखपुर का मोहर्रम अपने आप में अनूठा एवं ऐतिहासिक है, क्योंकि जिस तरह मोहर्रम के चांद की पहली तारीख़ से ले कर दसवीं मोहर्रम तक ताज़िया, जूलूस और मातम का सिलसिला चलता है । उसकी मिसाल किसी और जगह नहीं मिलती। मोहर्रम की पांचवीं तारीख़ को इमाम बाड़ा स्टेट के सज्जादा नशीन अदनान फर्रुख अली शाह उर्फ़ मियां साहब के नेतृत्व में इमाम बाड़ा स्टेट का शाही जूलूस बड़ी शान ओ शौकत के साथ बरामद हुआ। मियां साहब इमामबाड़ा से निकल कर ये जूलूस अपनी रवायती आन बान के साथ मियां बाज़ार, बख्शीपुर, अली नगर ,बेनीगंज , जाफरा बाज़ार होता हुआ घासी कटरा में स्थित कर्बला पहुंचा। जगह जगह जूलूस का स्वागत सबील और गुलाबों की वर्षा से किया गया। जूलूस का दिलकश नज़ारा सभी को अपनी तरफ खींच रहा था । जूलूस के सबसे आगे सफेद वर्दी ने इमाम बाड़ा स्टेट के गार्ड चल रहे थे जिनके हाथों में भाला था , उनके पीछे घुड़सवारों का दस्ता था , साथ ही शहनाई और बैंड बाजे का दस्ता था, उनके बाद स्थानीय प्रशासन के लोग , फिर हरी वर्दी में इमामबाड़ा स्टेट के निजी सुरक्षाकर्मी एवं अदनान फर्रुख अली शाह के ख़ास सहयोगियों का काफ़िला था। इनके पीछे अलम और साथ में मातमी धुन बजाते हुए धूल ताशे थे l जूलूस का मुख्य आकर्षण सफ़ेद साफे और विशेष सफेद कपड़े पहने हुए , मियां साहब अदनान फर्रुख अली शाह का दीदार था। जिनकी एक झलक पाने के लिए लिया रास्तों के दोनो तरफ लोग हजारों की संख्या में खड़े हुए थे। जूलूस जब घासी कटरा स्थित कर्बला पहुंचा तो वहां पर मियां साहब और उनके साथियों ने फातिहा पढ़ा कुछ देर विश्राम किया और फिर जूलूस आगे बढ़ा। मिर्ज़ापुर चौराहा,खुनीपुर, नख़ास चौक होता हुआ जब थाना कोतवाली के पास पहुंचा तो कोतवाली परिसर मे स्तिथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद सरदार अली ख़ान के मज़ार पर हाज़िरी दी और फातिहा पढ़ा। इसके बाद अपनी परंपरा के अनुसार इमामबाड़ा के दक्षिणी फाटक से दाख़िल होकर अपनी आख़िरी मंजिल तक पहुंचा। जूलूस में मियां साहब के साथ विशेष रूप से ख़्वाजा शमसुद्दीन, अबु नसर सिद्दिकी,सय्यद इरशाद, इंजिनियर मिनत्तुल्लाह, सैय्यद शाहाब, सैय्यद रेहान,शकील शाही के समेत काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
