*मुफ्त अनाज योजना में आती भ्रष्टाचार की गंध, कहीं चुनावी परिदृश्य को प्रभावित ना कर दे*
*नये इलेक्ट्रानिक तराजू तथा मशीन में अनेक तकनिकी दिक्कतो के चलते कोटेदार भी हलकान*
जमाल मिर्जा- ए एस खान लखनऊ ब्यूरो
लखनऊ- जिस सराकारी राशन ने केन्द्र सरकार की छवी आम आदमी मे भगवान की सी बना दी, अब वो भी भ्रष्टाचार की दलदल मे धसी डूबती नजर आ रही है ।
सरकारी फ्री राशन की योजना सुचारू रूप से चल रही थी, ये योजना कोई नयी नही थी, बल्कि पिछली सरकार की एक रूपये किलो गेहूं योजना का ही बदला स्वरूप था, जिसमे आम गरीब जनता को एक रूपये की जगहां फ्री अनाज दिया जा रहा था, परिवार का कोई भी वो सदस्य जिसका राशन कार्ड पर नाम पडा हो, अंगूठा लगाकर राशन ले आता था ।
किन्तु अचानक सूचारू रूप से चल रही इस योजना मे अंगूठा लगाने वाली मशीन बदल दी गयी, उसके स्थान पर वीज़नटेक की नयी मशीने दी गयी हैं जो इलेक्ट्रॉनिक कांटे से सीधे जुडी हैं, इन मशीनो मे अनेक तकनिकी दिक्कतें आ रही है, जिसके चलते आम जनता और कोटेदार दोनो हलकान हैं, परिणाम स्वरूप आज बीस तारीख गुजर जाने के बाद भी अधिकांश उपभोक्ताओं के अंगूठे नही लग सके, तथा राशन के डिबबे खाली हैं ।
आनन फानन मे बिना तकनीकी जांच किये कोटेदारो को उपलब्ध कराई गयी वीजनटेक की भशीनो मे सरवर ही नही आता, और दो चार लोगों के कार्ड ही हो पाते हैं कि सरवर फिर चला जाता है ।
दूसरी तकनीकी दिक्कत यह है की राशन की तौल एकदम परफेक्ट होने पर ही मशीन उसको पास करती है, पांच ग्राम भी वजन कम या जादा होने पर मशीन ओके नही करती, अब दो चार ग्राम को इधर उधर का संतुलन बनाने मे दो चार मिनट लग ही जा रहे हैं, और मशीन टाइम ओवर बता देती है और दोबारा उस कार्ड को मशीन कार्ड एक्सेप्ट ही नही करती, और राशन तौला बता रही है, ऐसे मे लोग कोटेदारो से झगड रहे हैं, वही दूसरी ओर इस जटिल प्रक्रिया के चलते जहां पहले मात्र दो से तीन मिनट मे अंगूठा लग जाता था, विजनटेक की नयी मशीन मे आधा घंटा लग रहा है, एक अंगूठा लगाने में ।
एच और समस्या है, जो कोटेदारो के गले पडे ही, वो है एफ सी आई से कम तौल का राशन आने की ।
कोटेदारो को राशन एफ,सी,आई, बोरे के हिसाब से बिना तौले उपलब्ध कराती है, जिसमे दस से पन्द्रह किलो अनाज कम निकलता है, जब्कि इलेक्ट्रॉनिक मशीन के सीधे अंगूठा मशीन के जुडे होने और परफेक्ट तौल पर ही उपभोक्ता का राशन पास करने के प्रावधान के चलते, कोटेदार प्रतिबोरी दस से पन्द्रह किलो कम अनाज ले कर पूरी तौल दे रहा है । कोटेदारो का कहना है कि एफ,सी,आई, के गोदामो मे पूरी प्रक्रिया दबंगो के हाथो मे है, जो राशन तौलकर नही बोरे के हिसाब से देते है, और प्रति बोरी दस से पन्द्रह किलो अनाज कम निकलने की शिकायत पर धमका रहे है ।
उक्त पूरी प्रक्रिया की समीक्षा करने पर जो निषकर्ष सामने आ रहे हैं उससे इसमे बडे घोटाले की बू आ रही है ।
कोटेदारो को कम अनाज क्यो मिल रहा है, जब्कि उनकी तौल पर इलेक्ट्रानिक मशीन से नजर रखी जा रही है, क्या ये कम अनाज कोटेदार अपने घर से पूरा करेगा ।
दूसरे सुचारू रूप से चल रही पुरानी मशीनों को आखिर आनन फानन मे क्यो बदला गया, नयी वीज़नटेक मशीनो की तकनीकी दिक्कतों की जांच पडताल कैसे सरकारी आंखो से पास हो गयी, तथा नयी वीजनटेक मशीन मे सरवर की दिक्कत को मशीन रिलीज से पहले जांच मे क्यो नही पकडा जा सका ।
ऐसा लगता है वीजनटेक कम्पनी ने अपनी मशीनों की तकनीकी दिक्कतों के बावजूद पास कराने के लिए बडा खेल किया है, जिसके चलते आम जनता और कोटेदार दोनो प्रताड़ित हो रहे हैं ।
सनद रहे कि केन्द्र सरकार की बहुआयामी मुफ्त अनाज योजना ना केवल सभी वर्गो के गरीबों के लिए वरदान बनी हुई है, बल्कि सबसे लोकप्रिय योजना भी है जिससे करोडो लोग लाभांवित रो रहे है, बलकी इस योजना ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवी गरीबों मे भगवान की सी बना दी है, किन्तु सरकारी तंत्र मे जडे जमाए भ्रष्टाचार की दलदल से इसे सीधे सरकारी हंटर ही बचा सकता है, अन्यथा कहीं ऐसा ना हो कि चुनावी परिदृश्य मे राशन वितरण में इस तरहां की तकनीकी दिक्कतें सरकार की बनी बनाई इमेज पर बट्टा लगा दें ।