संजीव श्रीवास्तव
संसार से अनेको व्यक्ति विदा लेते है लेकिन आंखे द्रवित एंव मन श्रूद्भा से नमन चंद व्यक्तियों का ही करता है
रतन टाटा उन्ही मे से एक थे
हिंदुस्तान का करोडो व्यक्ति उनके जाने से आज द्रवित है उनसे ना मिला ना रूबरू हुआ लेकिन उनका व्यक्तिव ही ऐसा है हर भारतीय के दिल मे सदैव रहेगा ।।
एक ऐसे ही वयक्तिव के धनी सर अब्दुल कलाम आजाद वैज्ञानिक एंव पूर्व राष्ट्रपति थे जिनके जाने से करोडो लोग खालीपन महसूस कर रहे है ना उनसे मिलना हुआ ना ही वह हमे जानते थे
ऐसे ही नही बनता बिरला व्यक्ति साजिक सोच अथक परिश्रम एंवसादा जीवन ही दिलो पर राज करता है
हमारे अनेको मिञ परिचित रिशतेदार आज लोवर मिडिल क्लास से उठकर अपर मिडिल करोड़पति है और हमे गर्व है कि इतना सब होने के बाबजूद वह हमे नाम से पहचानते है
लेकिन सोच घर परिवार तक सीमित है समाज के लिये कया इनके लिये वह सरकार की जिम्मेदारी है अधिक हुआ मंदिर मे प्रसाद तीर्थयात्रा और परिवार के साथ पिकनिक सोच यही तक सीमित है ।।
ऐसा नही की सामाजिक परेशानियों से ऐसे अनेको लोग अपरिचित है
एम आर आई,सीटी स्कैन अन्य जरूरी जांचो की हजारो फीस करोडो भुगत रहे है लंबी लबीं लाईने और तारीख अस्पतालो मे मिल रही है जोकि हम सब मिलवाट कर ऐसी मशीनो सामूहिक रूप से लगाकर अन्य खर्च उठा सकते है लेकिन यह तो सरकार का बिषय है
पढाई और रोजगार भी एक गंभीर मुद्दा है लेकिन वह भी सरकार का बिषय है
इन सवके बारे मे सोचने प्रयत्न करने से ही अनजान के हृदय मे अजीज मनुष्य बनता है
वर्ना अंतिम याञा मे लोग घड़ी देखकर या सीधे शमशान पहुंच कर इतिश्री कर लेते है
दिलो पर राज हमारे जाने के बाद लोग खालीपन महसूस करे हमारी याद करे सामाजिक कार्यो से ही मिलता है ।।